चश्मदीदों की जुबानी पहलगाम आतंकी हमले की कहानी pahalgam terrorist attack eyewitnesses recount horror

बुधवार, 23 अप्रैल को पूरी कश्मीर घाटी में पूरी तरह से बंद का माहौल रहा. श्रीनगर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी राजनीतिक पार्टियों ने लाल चौक पर विरोध मार्च निकाला. कश्मीर घाटी में इस तरह के दृश्य पहले कभी नहीं देखे गए थे. इससे पहले, केवल आतंकवादी नेताओं या सुरक्षा बलों द्वारा निशाना बनाए गए नागरिकों की हत्या पर ही इतनी व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिलती थी.
पीडीपी के युवा विधायक वहीदुर्रहमान पारा ने द क्विंट को बताया कि यह हमला कश्मीरियों के खिलाफ एक युद्ध जैसा कदम है.
23 अप्रैल को यूटी प्रशासन ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी. रिपोर्टर को पुलिस ने अनंतनाग के संगम इलाके में रोक दिया और बैसरन की ओर जाने नहीं दिया, जहां नरसंहार हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मीडिया की आवाजाही रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं.
दक्षिण कश्मीर के एक अन्य अशांत क्षेत्र अवंतीपोरा में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) की मदद से पर्यटकों को निकाला जा रहा है.
चेरसू इलाके में द क्विंट ने गुजरात से आए एक पर्यटक परिवार को देखा, जो आधा दर्जन एसओजी कर्मियों से घिरे थे और कड़ी सुरक्षा के बीच एक मिनीवैन से श्रीनगर एयरपोर्ट जा रहे थे.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह कश्मीर से पर्यटकों के अचानक वापस चले जाने से बहुत दुखी हैं.
फ्लाइट बुकिंग में तेजी के बीच, एयरलाइंस ने टिकट की कीमतों में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी की है. बुधवार दोपहर तक, श्रीनगर-दिल्ली फ्लाइट का औसत किराया 38,000 रुपये तक पहुंच गया था. इस बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मुंबई, दिल्ली और श्रीनगर के बीच अतिरिक्त फ्लाइट्स शेड्यूल की है.
कुछ स्थानीय होटल व्यवसायियों और टूर ऑपरेटरों ने कहा कि उन्होंने पर्यटकों को मुफ्त में रुकने की पेशकश की है, ताकि वे कश्मीर घाटी से निकलने की व्यवस्था होने तक वहां रुक सकें.
श्रीनगर में डल झील के पास मशहूर बुलेवार्ड रोड पर स्थित होटल न्यू पार्क के मालिक अब्दुल वाहिद मलिक ने कहा, “मैंने फंसे हुए पर्यटकों के लिए चार कमरों का इंतजाम किया है. कल ऐशमुकाम इलाके में एक परिवार फंसा हुआ था और हमने उन्हें यहां रहने के लिए कहा.”
हिंसा के बाद के हालात से जूझ रहे कश्मीर के सामने सबसे बड़ा सवाल है यह नहीं है कि नरसंहार की साजिश किसने रची, बल्कि यह है कि शांति की चाहत रखने वाले इस क्षेत्र का भविष्य क्या होगा?
(शाकिर मीर एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिनका काम जम्मू-कश्मीर में संघर्ष, राजनीति, इतिहास और स्मृति के बीच के संबंध पर केंद्रित है. उनका एक्स आईडी @shakirmir है. फैजान मीर एक स्वतंत्र मल्टीमीडिया पत्रकार हैं. नका एक्स आईडी @faizanmirtweetsहैं.)